
Nisha Warshi Hockey Player
भारतीय महिला हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए टोक्यो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। 41 साल में टीम ने पहली बार यह कारनामा किया है।
इस अंसभव सी लगती मिशन को सफल बनाया है देश की 16 बेटियों ने। इन्होंने ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और साउथ अफ्रीका जैसी टीमों को हरा कर सेमी फाइनल में पहुँचने से पहले अपने जीवन में गरीबी, सामाजिक सोच और लड़कियों को कमतर आंकने वाली सोच सहित कई मुश्किलों को हराया है।
इन खिलाडियों में एक नाम है निशा अहमद वारसी का जो टोक्यो में चल रहे ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम में निशा अहमद मिडफील्डर (डिफेंडर) के रूप में खेल रही हैं।
नाम | निशा अहमद वारसी |
जन्म | 9 जुलाई 1995 |
जन्म स्थान | सोनीपत, हरियाणा |
उम्र | 26 वर्ष |
लम्बाई | 1.65 मी० (5’5”) |
पिता | सोहराब अहमद |
माता | महरून |
क्षेत्र | हॉकी (मिड फील्डर) |
कोच | प्रिंस रानी सिवाच |

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डिफेंडर निशा वारसी पहली बार ओलंपिक में खेल रही हैं। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
पिता सोहराब अहमद सिलाई का काम करते थे। वर्ष 2015 में वे लकवा का शिकार हो गए जिसके कारण उन्हें सिलाई का काम छोड़ना पड़ा।
साड़ी जिम्मेदारी उनके माँ महरून पर आ गया वे एक फोम बनाने वाली कंपनी में काम करने लगी। निशा के हॉकी खेलने में कई सामाजिक बाधाएं भी थीं। लेकिन कोच सिवाच ने निशा का साथ दिया।
उन्हें निशा को अपने सपने को पूरा करने देने के लिए उसके माता-पिता को मनाया। 2018 में निशा को भारतीय टीम के कैंप के लिए चुना गया लेकिन घर छोड़ने का फैसला आसान नहीं था।
उन्होंने अपना इंटरनैशनल डेब्यू 2019 में हिरोशिमा में FIH फाइनल्स में किया। तब से वह नौ बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
निशा परफॉरमेंस की बदौलत रेलवे में नौकरी मिलने की बाद परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तब उनके माँ ने काम छोड़ दिया।
हरियाणा सरकार की ओर से 5 लाख रुपये की मदद
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ओलंपिक में हॉकी खेलने गई सोनीपत, हरियाणा की निशा अहमद के घर पर 5 लाख रुपये की खेल सहायता राशि भिजवाई है जो परिवार के के लिए कुछ राहत देगी।
मुख्यमंत्री की ओर से शुभकामना संदेश लेकर उनके प्रतिनिधि ओएसडी गजेंद्र फौगाट निशा अहमद के घर पहुंचे।
उन्होंने खिलाड़ी के माता-पिता का हाल चाल जाना व उनके संघर्ष के साक्षी बने। सोनीपत की महिला हॉकी खिलाड़ी निशा अहमद जिनका घर केवल 25 गज का है।
उनके पिताजी सोहराब अहमद एक टेलर थे, मगर 2016 में उनको अटैक की वजह से लकवा मार गया जिसके वजह से उनको भी ये काम छोड़ना पड़ा।
इस दुर्घटना के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी। एक समय ऐसा वक्त आ गया कि खाने तक का इंतजाम करना कठिन हो गया था।
फिर उनकी माताजी महरून खान ने एक फोम के कारखाने में नौकरी कर अपने 4 चार बच्चों की जिम्मेदारी खुद संभाली। ऐसे कठिन हालत के दौरान निशा अहमद की प्रैक्टिस निरन्तर जारी रही।
अब निशा अहमद को रेलवे विभाग ने नोकरी दे दी है। गरीबी से जूझते हुए निशा आज भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक पदक दिलाने के लिए टोक्यो में योद्धा की तरह मैदान पर जूझ रही है।
उसके संघर्ष को सफलता जरूर मिलेगी। निशा के परिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा 5 लाख रूपए की सहायता राशि दी गयी है। राशि मिलने से परिवार को थोड़ी बहुत राहत जरूर मिली है।
इस दौरान मंत्री फौगाट ने निशा के माता-पिता को आश्वासन दिया कि निशा को सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी। निशा और उसके परिवार के हर सँघर्ष को ढ़ेरों सलाम!